द गर्ल इन रूम 105
अध्याय 26
हमें चंदन एंट्रेंस पर ही मिल गया। हम दोनों को पहुंचने में देर हो गई थी और हम हमारी पहली क्लास का आधा
समय जा चुका था।
'तो, आज क्या हो गया था, न्यूमोनिया?" उसने कहा।
'नहीं, सर, मैंने कहा 'आज तो अलार्म ही नहीं बजा और हम सोते रह गए।' 'और जो स्टूडेंट्स क्लास में बेट कर रहे हैं, उनका क्या?'
'सॉरी, सरा हम एक रेमेडियल नेशन कर लेंगे, सौरभ ने कहा। चंदन ने हमें ऐसे देखा, जैसे कि वो बम फटने ही वाला है।
'हम भी एक मर्डर कर दें क्या?" सौरभ ने कहा। हम चंदन को पीछे छोड़ आगे चले आए थे।।
"मैं उम्मीद कर रहा हूं कि गुटखा पहले ही यह काम कर दे,' मैंने कहा। क्लासेस के बाद हम दोनों खाली स्टाफरूम में कुछ समय के लिए मिले।
'भाई, हमें जो भी फ़ैज़ के घर से मिला है, उसे राणा को जल्दी से जल्दी दे देते हैं। ये सब चीजें घर पर
रखना ठीक नहीं, सौरभ ने कहा।
'हम आज शाम को जाकर दे आएंगे।'
मेरा फोन बजा । मैंने आसपास देखा कि कहीं चंदन तो नहीं है।
'ओह नो. ये देखो...'
मेरे फ़ोन की स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहा था--" -'कैप्टन फ़ैज़ कॉलिंग
"हो गया कबाड़ा... सौरभ ने कहा ।
मेरे हाथ कांपने लगे।
'अब क्या करें?'
'कहीं इसको पता तो नहीं लग गया कि हम इसके घर में घुस गए थे?' सौरभ ने कहा। 'मुझे क्या पता?'
'फोन उठा लो और नॉर्मल ढंग से ही बात करना, सौरभ ने कहा।
'गुड आफ्टरनून, कैप्टन फ़ैज़,' मैंने फ़ोन उठाते हुए कहा। सौरभ कान को पास में लाकर हमारी बातें सुनने
लगा। 'गुड आफ्टरनून, केशव। क्या चल रहा है। दिल्ली में अच्छा लग रहा है या नहीं?" फेज ने खुशगवार आवाज में कहा।
"बिलकुल ठीक, सर मैं अभी काम कर रहा था। दिल्ली में बहुत गर्मी है और मुझे श्रीनगर की याद आ रही
है।'
'ओह, तब तो तुम बिज़ी होगे। मैं तुम्हारा ज्यादा समय नहीं लूंगा। मैंने इसलिए फ़ोन लगाया, क्योंकि मुझे
कुछ याद आया था। 'क्या, सर?
"मैंने एक बार जारा को बहुत स्पेशल कश्मीरी ईयररिंग्स
दी थीं।'
सौरभ और मैं हैरत से एक-दूसरे की ओर देखते रहे।
'ओह, स्पेशल यानी?' मैंने कहा।
'वो ट्रेडिशनल कश्मीरी ईयररिंग्स थीं। बहुत महंगी । जारा ने कहा था कि वो उनका पैसा चुका देगी।'
'तो क्या उसने पैसा दिया?"
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